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भारत की प्राचीन ऋषि परंपरा कमजोर जरूर हुई है, मरी नहीं है...

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भारत की प्राचीन ऋषि परंपरा कमजोर जरूर हुई है, मरी नहीं है... पद्म पुरस्कार ठुकरा चुके ये हैं आलोक सागर जी .............................................................. श्री आलोक सागर.... IIT दिल्ली से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में डिग्री, ह्यूस्टन से पीएचडी, टैक्सास से पोस्ट डाक्टरेट, पूर्व आर बी आई गवर्नर रघुराम राजन के प्रोफेसर.... विगत 32 वर्षों से किसी भी तरह के लालच को दरकिनार कर .... मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में आदिवासियों के बीच रहते हुए उनके सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक उत्थान और उनके अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. निजी जीवन में दिल्ली में करोड़ों की सम्पत्ति के मालिक श्री सागर की मां दिल्ली के मिरांडा हाउस में फिजिक्स की प्रोफेसर और पिता भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी थे, छोटा भाई आज भी आई आई टी में प्रोफेसर है। सब कुछ त्याग कर आदिवासियों के उत्थान के लिये समर्पित, आदिवासियों के साथ सादगी भरा जीवन जी रहे हैं... रहने को घांस-फूस की एक झोपड़ी, पहनने को तीन कुर्ते, आवागमन के लिए एक साइकिल- ताकि प्रकृति को नुकसान न हो. कई भाषाओं के जानकार श्री सागर आदिवासियों से उन्हीं की भाषा...

कमला सोहोनी: एक महिला वैज्ञानिक की कहानी

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कमला सोहोनी भारतीय वैज्ञानिक थी जिन्होंने राष्ट्रीय खाद्य और औषधीय प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (देहरादून) में अध्ययन किया। वह 1936 में बॉम्बे विश्वविद्यालय की पहली महिला छात्रा थी जो रसायन विज्ञान में स्नातक पदवी हासिल की। उन्होंने अपनी शिक्षा के दौरान ग्लाइकोलिसिस प्रक्रिया पर अपने अनुसंधान केंद्रित किए। इसके लिए उन्होंने उच्चतम शिक्षामान्य प्राप्त की और 1939 में उन्होंने डॉक्टरेट प्राप्त किया। कमला सोहोनी ने भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिए। उन्होंने गर्मीकीट जैसी जनसंख्या विज्ञान और फाइब्रिनोजन फ़ैक्टर से संबंधित अद्यतन जानकारी प्रदान की। उन्होंने अपनी कठिनाइयों का सामना करते हुए भारतीय विज्ञान क्षेत्र में महिलाओं के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल स्थापित की। उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में अद्यतित रहने के लिए अविरल योगदान दिया और महिला वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित किया। कमला सोहोनी की कहानी महिला विज्ञानियों के लिए एक प्रेरणास्रोत रही है और उनका योगदान विज्ञान और समाज के क्षेत्र में मान्यता प्राप्त है। 

बाबा नीम करोली जी के बारे में 10 रोचक जानकारी

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बाबा नीम करोली एक चमत्कारिक बाबा थे। उनके भक्त उन्हें हनुमानजी का अवतार मानते हैं। वे एक सीधे सादे सरल व्यक्ति थे। उनके संबंध में कई तरह के चमत्कारिक किस्से बताए जाते हैं। आओ जानते हैं बाबा नीम करोली जी के संबंध में 10 रोचक बातें। 1. नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। उत्तरप्रदेश के अकबरपुर गांव में उनका जन्म 1900 के आसपास हुआ था। 17 वर्ष की उम्र में ही उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। उनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। 11 वर्ष की उम्र में ही बाबा का विवाह हो गया था।   2. 1958 में बाबा ने अपने घर को त्याग दिया और पूरे उत्तर भारत में साधुओं की भांति विचरण करने लगे थे। उस दौरान लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा और तिकोनिया वाले बाबा सहित वे कई नामों से जाने जाते थे। गुजरात के ववानिया मोरबी में तपस्या की तो वहां उन्हें तलईया बाबा के नाम से पुकारते लगे थे। 3. एक बार बाबा फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में सफर कर रहे थे। जब टिकट चेकर आया तो बाबा के पास टिकट नहीं था। तब बाबा को अगले स्टेशन 'नीब करोली' में ट्रेन से उतार दिया गया। बाबा थोड़ी दूर पर ही अपना चिपटा धरती ...

Who is Jimmy Tata?

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  Jimmy Tata is the younger brother of Ratan Tata . He is bachelor and lives in in a Two BHK flat in Mumbai. Since he has not been interested in any business, the least information can be known of him. However less known publically he is , he holds some shares of the companies of Tata. He is seen rarely out of his resident and does not keep any contact number for communication with public . A rare photo of two brothers, Ratan Tata and Jimmy Tata in their young age .

सच्चा मित्र

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सच्चा मित्र,, एक लड़के के अनेक मित्र थे जिसका उसे बहुत घमंड था जबकि उसके पिता का एक ही मित्र था लेकिन था सच्चा। एक दिन पिता ने बेटे को बोला कि तेरे बहुत सारे दोस्त है उनमें से आज रात तेरे सबसे अच्छे दोस्त की परीक्षा लेते है। बेटा सहर्ष तैयार हो गया। रात को 1 बजे वे दोनों बेटे के सबसे घनिष्ठ मित्र के घर पहुंचे।  बेटे ने दरवाजा खटखटाया, दरवाजा नहीं खुला। बार-बार दरवाजा ठोकने के बाद अंदर से बेटे का दोस्त उसकी माताजी को कह रहा था...माँ कह दे मैं घर पर नहीं हूँ। यह सुनकर बेटा उदास हो गया, अतः निराश होकर दोनों लौट आए। फिर पिता ने कहा कि बेटे आज तुझे मेरे दोस्त से मिलवाता हूँ। दोनों पिता के दोस्त के घर पहुंचे। पिता ने अपने मित्र को आवाज लगाई। उधर से जवाब आया कि ठहरना मित्र, दो मिनट में दरवाजा खोलता हूँ। जब दरवाजा खुला तो पिता के दोस्त के एक हाथ में रुपये की थैली और दूसरे हाथ में तलवार थी। पिता ने पूछा, यह क्या है मित्र। तब मित्र बोला....अगर मेरे मित्र ने 1 बजे रात्रि को मेरा दरवाजा खटखटाया है तो जरूर वह मुसीबत में होगा और अक्सर मुसीबत दो प्रकार की होती है या तो रुपये पैसे की य...

धीरुभाई अंबानी की सफलता की कहानी दुनिया भर में मशहूर है।

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 धीरुभाई अंबानी, जो एक भारतीय उद्यमी और बिजनेसमान हैं, की सफलता की कहानी दुनिया भर में मशहूर है। उन्होंने अपनी मेहनत, दृढ़ संकल्प और विश्वास के माध्यम से अपने जीवन को बदल दिया है। उनकी कहानी 1960 के दशक में शुरू होती है, जब उन्होंने अपनी माता-पिता की मदद से "रिलायंस इंडस्ट्रीज" कंपनी की स्थापना की। पहले मंदिरों में मजदूरी करते हुए वे अपने सपने की पुर्ती करने के लिए मेहनत करते रहे। धीरुभाई ने न केवल अपनी कंपनी को मजबूत बनाया, बल्कि उन्होंने विभिन्न व्यापार उद्योगों में विस्तार किया और सफलता प्राप्त की। धीरुभाई अंबानी की विशेषता थी उनकी समय पर और नवीनतम तकनीकों का उपयोग करना। उन्होंने नए और उन्नत उद्योगों में निवेश किया, जैसे कि रिटेल, पेट्रोलियम, गैस, टेलीकॉम्यूनिकेशन, इत्यादि। इसके अलावा, उनकी नेतृत्व और उद्योगी क्षमता ने रिलायंस इंडस्ट्रीज को वैश्विक बाजार में एक उभरते हुए नाम बना दिया है। उनके व्यापारिक नजरिए ने भारतीय बाजार में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है और उन्हें वैश्विक महासागर में मान्यता प्राप्त होने का गर्व है। आज, धीरुभाई अंबानी भारतीय बिजनेस संघ के अग्रणी स्वयं...